24 years of Shri Vedmata Gayatri Mahayagya and Holy Shri Ram Katha Day: 01
गायत्री मंत्र
चौबीस अक्षरों का गायत्री महामंत्र भारतीय संस्कृति के वाङ्मय का नाभिक कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी। यह संसार का सबसे छोटा एवं एक समग्र धर्मशास्त्र है। यदि कभी भारत जगद्गुरु- चक्रवर्ती रहा है तो उसके मूल में इसी की भूमिका रही है। गायत्री मंत्र का तत्त्वज्ञान कुछ ऐसी उत्कृष्टता अपने अन्दर समाए है कि उसे हृदयंगम कर जीवनचर्या में समाविष्ट कर लेने से जीवन परिष्कृत होता चला जाता है। वेद, जो हमारे आदिग्रन्थ हैं, उनका सारतत्त्व गायत्री मंत्र की व्याख्या में पाया जा सकता है।
इस आधार पर इसे ईश्वरीय निर्देश, शास्त्र-वचन एवं आप्तजन-कथन के रूप में अपनाया जा सकता है। गायत्री के विषय में गीता का वाक्य है- 'गायत्री छंदसामहम्’। भगवान् कृष्ण ने कहा है कि ‘छंदों में गायत्री में स्वयं हूँ’, जो विद्या-विभूति के रूप में गायत्री की व्याख्या करते हुए विभूति योग में प्रकट हुई है। - आद्यशक्ति गायत्री की समर्थ साधना